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बिहार महिला मशरूम के जादू के माध्यम से स्वयं को बदल रहे हैं (Bihar Women Are Transforming Themselves Through the Magic of Mushrooms)

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बिहार में सर्दी का ठंडा अनीता देवी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट लाता है। यह उसकी मदद करेगा, अनंतपुर में सैकड़ों अन्य महिलाओं और नालंदा जिले के 10 पड़ोसी गांवों के साथ, अधिक जैविक मशरूम विकसित करेंगी। मशरूम की खेती को बड़े पैमाने पर लेने से, आसपास के अन्य ग्रामीण महिलाओं की तरह अनीता ने अपने परिवार के लिए एक स्थिर आय सुनिश्चित की है। आय उत्पन्न करने वाले लोगों के लिए सम्मानित, मशरूम के किसानों ने अपने परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर तरीके से बदल दिया है। "मशरूम की खेती ने मुझे और अन्य सैकड़ों अन्य महिलाओं को सशक्त नहीं किया है, हमने अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है," अनीता ने 40 के दशक के अंत में और उसके घर के निकट अपने कार्यालय के एक कार्यकारी की तरह बोलते हुए VillageSquare.in   को बताया। "मशरूम के बढ़ने के लिए धन्यवाद, गांवों में महिलाएं अब कमाई कर रही हैं, और अब अपने पति और परिवार पर निर्भर नहीं रहती हैं।" अनीता ने शब्दों को समझाने के साथ-साथ उसने अपनी खुद की किस्मत बदल दी है और पिछले सात सालों में मशरूम की खेती से सैकड़ों अन्य स्त्रियो...

गेहूं की खेती (Wheat)

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 गेहूँ (Wheat) Kingdom  –  Plantae – Plants Subkingdom  –  Tracheobionta – Vascular plants Superdivision  –  Spermatophyta – Seed plants Division  –  Magnoliophyta – Flowering plants Class  –  Liliopsida – Monocotyledons Subclass  –  Commelinidae Order  –  Cyperales Family  –  Poaceae – Grass family Genus  –  Triticum L. – wheat P गेहूं छोटी अवस्था में               गेहूँ की खेती विश्व के प्रायः हर भाग में होती है । संसार की कुल 23 प्रतिशत भूमि पर गेहूँ की खेती  की जाती है । गेहूँ विश्वव्यापी महत्त्व की फसल है। मुख्य रूप से एशिया में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ उगाया जाता है। विश्व में सबसे अधिक क्षेत्र फल में गेहूँ उगाने वाले प्रमुख तीन राष्ट्र भारत, रशियन फैडरेशन और संयुक्त राज्य अमेरिका है । गेहूँ उत्पादन में चीन के बाद भारत तथा अमेरिका का क्रम आता है । उपयुक्त जलवायु क्षेत...

फसलो के वानस्पतिक नाम

फसलो के वानस्पतिक नाम आम (राष्ट्रीय फल) – मेँजीफेरा इण्डिका रोहिड़ा (रोहिड़ा का फूल राज॰ का राज्य पुष्प) –  टिकोमेला अण्डूलेटा अशोक – सरेका इण्डिका कमल (रा॰ पुष्प) – नीलम्बियम न्यूसीफेरा खेजड़ी (राजस्थान राज्य वृक्ष) – प्रोसोपिस स्पाइसीगेरा गेहूँ – ट्रीटिकम एसटिवम चावल – ऑरिजा सेटाइवा मक्का – जिया मेज गन्ना – सेकेरम आफिसिनेरम जौ – होर्डियम वल्गर जई – एवेना स्टर्लिस राई – सीकेल सीरल बाजरा – पेनीसिटम अमेरिकोनम ज्वार – सोरगम वल्गर सिघाड़ा – ट्रापा नेटेन्स पालक – स्पाइनेसिया ओलेरेसिया मैथी – ट्राइगोनेला फेनूग्रेसम मूली – रेफेनस सेटाइवस गाजर – डॉकस केरोटा आलू – सोलेनम टयूबरोसम शलजम – ब्रेसिका रापा शकरकंद – आइपोमिया बटाटस चुकन्दर – बीटा वल्गरिस टमाटर – लाइकोपर्सिकम एस्कूलेन्टम बैँगन – सोलेनम मेलेन्जीना मिर्च – केपिस्कम एनुअम कालीमिर्च – पाइपर नाइग्रम लालमिर्च – केप्सिकम एनुअम भिण्डी – एबलमोशस एस्कूलेन्टस लौकी – लूफा सिलिड्रिका टिँडा – सिर्टुलस वल्गरिस मटर – पाइसम सेटाइवम पत्ता गोभी – ब्रेसिका ओलरेसिया वेराइटी केपीटेटा फूल गोभी – ब्रेसिका ओलरेसिया वेराइटी ब...

पौधे जीवन का आधार है (The plants are base of our life)

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             प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है। प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन जीव जगत के लिए बेहद ही अनिवार्य है। प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है। गर्मी, सर्दी, वर्षा आदि सब प्रकृति के सन्तुलन पर निर्भर करते हैं। यदि प्रकृति समृद्ध एवं सन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा होगा और सभी मौसम भी समयानुकूल सन्तुलित रहेंगे। यदि प्रकृति असन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी असन्तुलित होगा और अकाल, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं कहर ढाने लगेंगी। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है। पेड़ प्रकृति का आधार हैं। पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने पेड़ों को पूरा महत्व दिया। वेदों-पुराणों और शास्त्रों में भी पेड़ों के महत्व को समझाने के लिए विशेष जोर दिया गया है। पुराणों में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक पेड़ लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि दस गुणवान पुत्रों से यश की प्राप्ति होती है। इसलिए, जिस प्रकार ...

कोकोपिट को घर पर कैसे तैयार करें ( How to make coco peat at home )

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कोकोपिट को घर पर कैसे तैयार करें नमस्कार दोस्तों,     मैं हूँ मुकेश कुमार और आप पढ़ रहे हैं हमारे पौधे पर कृषि के बारे में। दोस्तों सबसे पहले तो आप सभी से क्षमा चाहता हूं कि में बहुत दिनों से एक्टिव नही था। लेकिन अब से मैं हमेशा आपके साथ बने रहने कि पूरी कोशिश करूंगा। तो दोस्तों शुरू करते हैं आज की पोस्ट के बारे में। दोस्तों आज मैं आपसे बात करने वाला हूँ मेरी एक अधूरी पोस्ट के बारे में जो मैने बीच मे छोड़ दी थी और आपको इंतज़ार करने के लिए कहा था । तो दोस्तो आज उस को ही पूरी करने की कोशिश करूंगा। दोस्तों आज में आपसे बात करने वाला हूँ कोकोपिट को हम अपने घर पर ही कैसे तैयार कर सकते हैं। तो दोस्तों अगर आपको कोकोपिट के बारे में नही पता है तो पहले आप मेरी पिछली पोस्ट कोको पीट : बिना मिट्टी के खेती करने का तरीका को एक बार जरूर देखें। तो दोस्तो अब आप ये तो जान गए कि कोकोपिट क्या होती है। लेकिन आप ये सोच रहे होंगे कि अब कोकोपिट कहाँ से प्राप्त करे तो दोस्तो वैसे से तो कोकोपिट मार्केट में बहुत ही आसानी से मिल जाती है फिर भी कुछ जगह इसका मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है त...

पपीते की खेती ( Farming of papaya )

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दोस्तों आपने हमारी पिछली पोस्ट में पढ़ा जैविक खेती के बारे में पढ़ा और कुछ पाठकों ने सुझाव भी दिए मुझे भुत अच्छा लगा इसी कड़ी में आज में आपके सामने लाया हूँ पपीते की खेती के बारे में तो पढ़िए पपीते के बारे में और पोस्ट अच्छी लगे तो कमेंट करके बताएं और अपने दोस्तों को भी बताये इसके बारे मे। ●परिचय पपीते का फल थोड़ा लम्बा व गोलाकार होता है तथा गूदा पीले रंग का होता है। गूदे के बीच में काले रंग के बीज होते हैं।  पेड़ के ऊपर के हिस्से में पत्तों के घेरे के नीचे पपीते के फल आते हैं ताकि यह पत्तों का घेरा कोमल फल की सुरक्षा कर सके। कच्चा पपीता हरे रंग का और पकने के बाद हरे पीले रंग का होता है। आजकल नयी जातियों में बिना बीज के पपीते की किस्में ईजाद की गई हैं।  एक पपीते का वजन 300, 400 ग्राम से लेकर 1 किलो ग्राम तक हो सकता है। पपीते के पेड़ नर और मादा के रुप में अलग-अलग होते हैं लेकिन कभी-कभी एक ही पेड़ में दोनों तरह के फूल खिलते हैं। हवाईयन और मेक्सिकन पपीते बहुत प्रसिद्ध हैं। भारतीय पपीते भी अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं। अलग-अलग किस्मों के अनुसार इनके स्वाद में थोड़ी बह...

ग्वारपाठा (Alovera)

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ग्वारपाठा दोस्तों कई दिनो से कोई नई पोस्ट नहीं लिख पाया उसके लिये आपसे माफी चाहता हुं । मेरी पिछली पोस्ट पर आपका बहुत प्यार मिला उसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आज मैं आपको बताने वाला हूं ग्वारपाठा के बारे में तो दोस्तों आइये जानते हैं ग्वारपाठा के बारे में :-  औषधीय पौधा एलोवेरा फायदे की खेती :- घृतकुमारी जिसे ग्वारपाठा एवं एलोवेरा के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन समय से ही चिकित्सा जगत में बीमारियों को उपचारित करने के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है। घृतकुमारी के गुणों से हम सभी भली-भांति परिचित हैं। हम सभी ने सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से इसका उपयोग किसी न किसी रुप में किया है। घृतकुमारी में अनेकों बीमारियों को उपचारित करने वाले गुण मौजूद होते हैं। इसीलिए ही आयुर्वेदिक उद्योग में घृतकुमारी की मांग बढ़ती जा रही है। एक बार लगाने पर तीन से पाँच साल तक उपज ली जा सकती है। और इसे खेत की मेड पर भी लगा सकते है जिसके कई फैदे है एक आप के खेत में कोई आवारा पशु नही आएगा | आपके खेत की मेडबंधी भी हो जाएगी एलोवेरा को कोई जानवर भी नही खाता है आप को अतिरिक्त आमदनी हो जाएगी ...