असिंचित दशा में धान की प्रजातियां
असिंचित दशा में धान की कौन-कौन सी प्रजातियां हैं ?
- साकेते-4,
- नरेन्द्र-97,
- नरेन्द्र-118,
- गोविन्द
अनुदान की सुविधा
धान की नर्सरी लगाने पर क्या सिंचाई हेतु अनुदान की सुविधा है?
राजकीय नलकूपों पर धान की नर्सरी डालने पर सिंचाई हेतु पानी की नि:शुल्क व्यवस्था है।
ऊसर क्षेत्रों हेतु धान की प्रजातियां
ऊसर क्षेत्रों हेतु धान की कौन सी प्रजातियां उपयुक्त हैं ?
- नरेन्द्र ऊसर धान-2,
- साकेत-4,
- सी.एस.आर.-10,
- मोजा-349
धान में खैरा रोग
धान में खैरा रोग नियन्त्रण हेतु उपचार कैसे करें ?
- नर्सरी उखाड़ने पर उसे लगाने से पूर्व जिंक सल्फेट के घोल में डुबोई जाय।
- जिंक सल्फेट 5 किलोग्राम तथा यूरिया की 20 किलोग्राम मात्रा पानी के साथ मिलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव किया जाय।
नील हरित शैवाल का प्रयोग
नील हरित शैवाल का प्रयोग धान की फसल में कब करें। यह कहां से प्राप्त होगा ?
धान की रोपाई के 4-5 दिन 12.5 किलोग्राम नील हरित शैवाल पानी की उपलब्धता में नील हरित शैवाल को खेत में बिखर दें, 4-5 दिन तक पानी भरा रहे कुछ दिन बाद शैवाल पनपने लगती है इसे कृषि विश्वविद्यलयों से, कृषि विभाग के सम्भागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्रों से तथा विज्ञान एवं प्रोद्योगिक परिषद के बक्शी का तालाब केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं।
रोपाई में देरी
एक माह से अधिक की बेड हो जाने पर रोपाई करने से क्या कुप्रभाव पड़ता हैं?
कल्ले कम निकलते हैं तथा शाखायें कम रह जाती है फलस्वरूप उपज कम मिल पाती है।
पैडी ट्रान्स-प्लान्टर
पैडी ट्रान्स-प्लान्टर कहां से प्राप्त किया जा सकता है, उसके लिये नर्सरी कैसे तैयार की जाती हैं ?
- कृषि विभाग से
- यू.पी. स्टेट एग्रो के गोदाम से
- कृषि विश्वविद्यालयों के अभियंत्रण अनुभाग से/ इसके लिये मैट सिस्टम की नर्सरी तैयार की जाती है, जो 90 सेंमी. की चौड़ी पटिटयों में तैयार की जाती है। इसमें धान का अंकुरित बीज बोया जाता है।
झुलसा और झोकां रोग से बचाव
झुलसा और झोकां रोग से बचाव हेतु क्या बीज शोधन से नियत्रंण हो सकता हैं?
हॉं, 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर बीज शोधन करके उपचार कर सकते हैं।
भूरा फुदका से बचाव
धान की फसल एकाएक जल सी जाती है और अपने आप गिर जाती है यह किस कीड़े या बीमारी के कारण होता है तथा नियत्रंण हेतु उपचार क्या हैं ?
भूरा फुदका के कारण जिसे बी.पी.एच. कहते है पौधे के रस चूस लिये जाने पर जड़ तना पत्ती कमजोर हो जाती है और सूखकर भूरे रंग की हो जाती है। इ
सके नियत्रंण हेतु प्रति लीटर पानी में डाइक्लोरोबास 1 मिलीलीटर तथा बी.पी;एम.एल. 1 मिली ली. के मिश्रण को मिलाकर पानी के साथ छिड़काव किया जाय।
गंधी एवं सैनिक कीट से बचाव
गंधी एवं सैनिक कीट से बचाव कब और कैसे किया जाय ?
फूल आने के बाद जब धान की बालियों में दुग्धावस्था होता इन्डोसल्फान 35 ई.सी. की मात्रा 1/5 लीटर आवश्यक पानी में 700 से 800 लीटर के घोल के माध्यम से छिड़काव करें या लिण्डेन 1.3प्रतिशत की धूल 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर डस्टिंग करें यह प्रात:काल किया जाय।
डस्टर की सुविधा
डस्टर की सुविधा धूलीकरण हेतु कहॉं से मिल सकती है ?
पी.सी.एफ., यू.पी.एग्रो के क्रय केन्द्रों से व्यवस्था की गयी है।
धान के विक्रय
धान के विक्रय की क्या व्यवस्था हैं ?
यू.पी. स्टेट एग्रो इन्ड0 कारपोरेशन, पी.सी.एफ. तथा एफ.सी.आई. के केन्द्रों पर क्रय की व्यवस्था की गयी है।
कीट/रोगनाशक रसायन
कीट/रोग बचाव हेतु क्या कई प्रकार के कीट/रोगनाशक रसायन एक साथ मिला सकते हैं ?
हॉं, मिल सकते है, परन्तु विकास खण्ड स्तर पर सहायक विकास अधिकारी, (कृषि रक्षा) जिले पर कृषि रक्षा अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी या तहसील स्तर पर कार्यरत उपसम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
अवर्षण की स्थिति में आकस्मिक योजना
अवर्षण की स्थिति में आकस्मिक योजना हेतु कहां से जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं ?
कृषि विभाग के जनपद स्तर मण्डल स्तर अथवा राज्य स्तर के अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित करके। कृषि विश्वविद्यालयों के हैल्पलाइन से सहायता ली जा सकती है।
हेल्पलाइन
हेल्पलाइन क्या है कहां से सम्पर्क बनाया जाय ?
किसानों की समस्याओं के त्वरित निदान हेतु प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों पर स्थापित हैल्पलाइन केन्द्र पर वैज्ञानिक उपलब्ध रहते है, जिस पर फोन द्वारा कृषिक सम्पर्क कर सकते है यह सुविधा 1 बजे से 3 बजे तक निर्धारित है।
कृषि विश्वविद्यालयों का हैल्पलाइन फोन नं0 निम्न हैं :-
कानपुर- 0512 – 555666,
कुमारगंज (फैजाबाद) 02578 – 62056,
पन्तनगर 05944 – 33336
धान में खरपतवार नियन्त्रण
धान में खरपतवार नियन्त्रण हेतु ब्यूटा- क्लोर और मशेटी पूर्ण रूपेण कारगर नहीं होती है, इसका क्या कारण है ?
- सही तरीके से उपचार न करने पर।
- उचित एवं विश्वसनीय केन्द्र से दवा न खरीदने के कारण अधोमानक रसायन मिला जाने पर।
- बहुत दे से दवा प्रयोग करने पर खरपतवार पुराना हो जाने के कारण।
जिंक सल्फेट के घोल का लाभ
जिंक सल्फेट के घोल का बेड डुबोने से क्या-क्या लाभ हैं ?
इससे खैर रोग से बचाव हो जाता है।
बाजरा की फसल में बाली रोग
बाजरा की फसल में बाली रोग लग जाता है, क्या करें ?
यह हरित वाली रोग कहलाता है इसका बचाव निम्नवत् है।
- 1प्रतिशत नमक के घोल में बीज उपचारित कर बोया जाय।
- थीरम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करके।
- उन्नतिशली प्रजातियों की बुवाई की जाय।
ज्वार की फसल में जहरीलापन
ज्वार की फसल चरने से पशु मर जाते है, यह जहरीलापन क्यों होता हैं ?
पानी की कमी एवं अधिक गर्मी के कारण हाइड्रो सायनिक एसिड का निर्माण हो जाता है जिससे पौधों में जहरीलापन आ जाता है इसको चरने से या चारा खिलाने से पशु मर जाते है।
गहरे पानी में धान की प्रजाति
अधिक गहरे पानी में कौन सा धान की प्रजाति लगायें ?
- जल लहरी,
- जल निधि,
- जल प्रिया,
- जल मग्न
स्रोत: कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार