परिचय
बिहार के गोपालगंज जिले के सिधवलिया प्रखंड के गोपालपुर गांव का रहना वाला किसान राजेश सिंह आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इस किसान को गन्ने की खेती व मछलीपालन में नेशनल अवार्ड व नेशनल रजत पदक मिला है। बुलंद हौसला और विपरीत स्थितियों में में भी इन्होंने कभी अपना धैर्य नहीं खोया है। जिसके कारण ये अपनी मुकाम हासिल किया है। राजेश ने 1987 में मैट्रिक पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए काफी प्रयास किया लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिलने के बाद इनके पिता ने खेती करने के लिए दबाव बनाया । हार कर इन्होंने खेती को ही कैरियर बनाया और देखते ही देखते वह एक सफल किसान बन गया। पांच एकड़ खेत को तालाब के रूप में परिवर्तित करा दिया। बाकी पांच एकड़ में गावों की खेती शुरू की।
मछली पालन और आधुनिक खेती की नयी सोच से बदली अपनी किस्मत
तालाब में 1990 से मछली पालन कर इलाके में एक अलग ही पहचान बनाया। मछली से राजेश को प्रति वर्ष पांच से दस लाख रुपये की आमदनी होती है। मत्स्य विभाग ने जिले का सबसे बेहतर मछली पालन किसान मानते हुए नेशनल रजत पदक से सम्मानित किया । ठीक इसी तरह गन्ने की खेती में इन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया। गन्ने की उन्न किस्म की हर बार खेती कर इलाकों के किसानों के लिए नजीर बन गये। आज गन्ना और मत्स्य से प्रति वर्ष 20 लाख की आमदनी कर लेते हैं। इसी को देखते हुए गन्ना अनुसंधान लखनऊ ने नेशनल पुरस्कार से सम्मानित किया। किसान राजेश आधुनिक खेती में विशवास रखते है। खेती ये हर बार नये तरीके से करते हैं। इसी वजह से जिले किसान इनकी तारीफ करते हैं। इतना ही नहीं जिला कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों से उनके उत्कृष्ट कार्य से प्रशिक्षण लेने की सलाह लेने को कहते हैं। उन्होंने इस बार पैडी (धान) राइस ऑन प्लांटिंग के जरिये धान की खेती की है। इस अत्याधुनिक मशीन से धान की रोपनी कर श्रीविधि को भी पीछे छोड़ दिया है। खेत में धान तैयार हो चुका है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसान राजेश हर समय खेती में नये तकनीक को अपनाते हैं और खेती करते हैं। अगर जिले के किसान इनसे सीख लेकर खेती करते हैं तो सफल किसान होंगें । राजेश इसी खेती के बदौलत अपने बेटा को उच्च शिक्षा के लिए राज्य से बाहर पढा रहे है। इनका बेटा दिल्ली विवि के देशबंधु कॉलेज में स्नातक की पढाई में टॉप किया है वही दूसरा बेटा प्राइवेट कंपनी जॉब कर रहा है। राजेश का कहना है कि यदि खेती को ठीक तरह से की जाए तो आमदनी अधिक हो सकती है।
लेखन : संदीप कुमार, स्वतंत्र पत्रकार