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कृषि मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग के अंतर्गत माह अक्तूबर 2004 से राष्ट्रीय परियोजना नियमों के अंतर्गत जैव उर्वरकों के प्रयोग तथा विकास हेतु अग्रगामी आधार पर जैविक खेती की राष्ट्रीय परियोजना’ केन्द्रीय वृत्त खंड योजना के रूप में निम्न उद्देश्यों के साथ प्रांरभ की गई।
उद्देश्य
- सेवा प्रदाता संस्थाओं के माध्यम से जैविक क्षमता का विकास ।
- जैव उर्वरक उत्पादन इकाइयों, फल, सब्जी कचरा द्वारा कम्पोस्ट उत्पादन इकाइयों तथा केंचुआ कम्पोस्ट उत्पादन इकाइयों को वितीय सहायता उपलब्ध कराना।
- प्रमाणीकरण, निरीक्षण, सेवा प्रदाता प्रशिक्षण, जैविक आदान उत्पादन व गुणवत्ता नियंत्रण, जैविक प्रंबधन तथा जैविक कृषि कार्यकर्त्ता प्रशिक्षणों द्वारा मनाव संसाधन विकास।
- जैविक अधानों व जैविक प्रबन्धन पर प्रक्षेत्र प्रदर्शन।
- जैविक उत्पादन हेतु बाजर का विकास ।
- आंतरिक मानकों का विकास तथा नियामक तंत्र-रचना ।
- जैविक खेती से संबंधित नवीन प्रयासों व अनुसन्धान को बढ़ावा।
- आदर्श जैविक फार्मों का विकास।
- जन जागृति तथा जागरूकता का विकास।
प्रचालन संरचना
जैविक खेती की राष्ट्रीय परियोजना का संचालन भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग के अंतर्गत समन्वित पोषण प्रबन्धन खंड द्वारा किया जाता है तथा संयुक्त सचिव इसके प्रमुख है। जैविक खेती की राष्ट्रीय परियोजना के उद्देश्यों को राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद तथा इसके छः क्षेत्रीय केन्द्रों जो बैंगलोर, भुवनेश्वर, हिसार, इम्फाल, जबलपुर तथा नागपुर में कार्यरत हैं, के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
क्रियात्मक दिशा-निर्देश
इस परियोजना के प्रमुख कार्य राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय जैविक खेती केन्द्रों, राज्य सरकारों के विभव एवं संस्थान तथा विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के मध्यम से क्रियान्वित किये जा रहे हैं। विभिन्न योजनाओं की प्रचालन विधियों का विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है-
- सेवा प्रदाता के माध्यम से क्षमता निर्माण- सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं को वित्तीय सहायता देकर सेवा प्रदाता रूप में नामित किया जाता है। इन सेवा प्रदाता संस्थाओं का प्रमुख कार्य हैं किसान समूहों का गठन, प्रमाणीकरण विधि में प्रवीणता, आंतरिक नियंत्रण प्रणाली प्रबन्धन, किसों का जैविक (कृषि) में परिवर्तन, अधिकतम उत्पादकता हेतु वांछित तकनीकी सहायता तथा उत्पादक समूह को प्रमाणीकरण सुविधा उपलब्ध कराना।
- आदान उत्पादन इकाइयों को वित्त्तीय सहायता – इस योजना के अंतर्गत (1) सब्जी बाजार अवशिष्ट से कम्पोस्ट बनाने की इकाई (2) जैव उर्वरक उत्पादन इकाई तथा (3) वर्मीकल्चर उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु कुल लागत के 25% की सीमा तक वित्तीय सहयता उपलब्ध कराई जा रही है। गैर सरकारी संस्थाएं एवं व्यक्तिगत उत्पादक तथा व्यवसायी बैंक से ऋण लेकर अनुदान योजना में शमिल हो सकते हैं। ऋण किसी भी सूचीबद्ध बैंक से प्राप्त किया जा सकता है। अनुदान का भुगतान नाबार्ड या एन.सी.डी.सि द्वारा किया जाता है। सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्थाओं (नगर पालिकाओं को शामिल करते हुए) द्वारा आवेधं करने पर उन्हें सीधे कृषि एवं सहकारिता विभाग से देय है। अधिकतम वित्तीय सहायता की सीमा सब्जी बाजार कचरा आधारित कम्पोस्ट, जैव उर्वरक तथा वर्मी कम्पोस्ट हैचरीज के लिए क्रमश 40 लाख, 20 लाख था 1.5 लाख है।
- प्रशिक्षण – विभिन्न विषयों पर 3 प्रकार के प्रशिक्षण राष्ट्रीय जैविक केंद्र, क्षेत्रीय जैविक खेती केंद्र तथा सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से आयोजित किये जा रहे हैं। यह हैं – (1) प्रमाणीकरण संस्थाओ तथा सेवा प्रदाताओं को निरिक्षण व् प्रमाणीकरण हेतु प्रशिक्षण। (2) जैविक आदानों के उत्पादन तथा गुणवत्ता नियंत्रण का प्रशिक्षण तथा (3) जैव प्रबंधन क्षेत्र में कार्य संपादन करने वाले प्रसार अधिकारीगण हेतु प्रशिक्षण।
- प्रक्षेत्र –प्रदर्श – विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न गुणवत्ता के आदानी की जैविक प्रबन्धन प्रणालियों में संभावनाएं सिद्ध करने हेतु जैविक आदानों तथा बायोगैस स्लरी पर प्रक्षेत्र –प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे हैं।
- आदर्श जैविक फार्म – सरकारी तथा अर्द्ध सरकारी संस्थाओं के फार्मों पर जैविक प्रणाली के विकास तथा जैविक प्रबन्धन बीज उत्पादन कराने हेतु अधिक से अधिक संख्या में आर्दश जैविक फार्मों की स्थापना।
- नवीन प्रयासों हेतु प्रोत्साहन तथा बाजार विकास – विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं को जैविक प्रबन्धन प्रक्रिया के विकास, जैविक व्यवसाय का मूल्याकंन तथा जैविक खाद्य बाजार का विकास करने हेतु वित्तीय सहायता दी जाती है। प्रक्रियाओं के अभिलेखन, प्रस्तुतिकरण, तकनीकी विकास तथा प्रमाणित तकनीकों के प्रचार हेतु भी निधि प्रदान की जा रही है।
- जनजाग्रति प्रचार- राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय सेमीनार, कांफ्रेस, कार्यशाला, प्रदर्शनियों तथा प्रिंट व एलेक्ट्रानिक संचार के माध्यम से प्रचार हेतु भी विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं को निधि उपलब्ध कराई जा रही है।
राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र तथा क्षेत्रीय जैविक कहती केन्द्रों के अन्य विशिष्ट कार्य
1. देश तथा विदेश में जैविक खेती से जुड़े सभी लोगों के साथ मिलकर कार्य करना तथा जैविक खेती के विभिन पहलुओं पर मुख्य सुचना केंद्र के रूप में कार्य करना।
2. स्वदेश ज्ञान एवं प्रक्रियाओं का अभिलेखन, समन्वित प्रबन्धन प्रणालियों का संकलन तथा तकनीकी साहित्य का समस्त भाषाओँ में प्रकाशन करना।
3. प्रमाणिक प्रशिक्षण साहित्य तथा प्रशिक्षण विषयक सामग्री का प्रकशन।
4. राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर के अद्यतन समाचारों को त्रैमासिक जैविक खेती सूचनापत्र तथ अर्धवार्षिक जैव उर्वरक सुचना पत्र में प्रकाशित करना।
5. विभिन्न प्रकार के जैविक आदानों जैसे जैव उर्वरक, कम्पोस्ट आदि का गुणवत्ता नियंत्रण तथा उत्पादन इकाइयों को आवश्यक तकनीकी ज्ञान सहायता एवं सुविधा उपलब्ध कराना।
6. जैव उर्वरक तथा जैविक खाद उत्पादन इकाइयों, उनकी उत्पादन क्षमता तथा वार्षिक उत्पादन, प्रमाणीकरण के अधीन कुल क्षेत्र तथा जैविक प्रबन्धन के अंतर्गत उगाई जा रही विभिन्न फसलों के आंकड़े इक्कठा करना।
7. जैव उर्वरकों को सूक्षम मातृ संवर्धों का विकास, मुल्यांकन, संचयन तथा भण्डारण कर आवश्यकतानुसार उत्पादन इकाइयों को उपलब्ध कराना।
8. जैव उर्वरक तथा जैविक खाद गुणवत्ता नियंत्रण हेतु अधिकृत केन्द्रीय प्रयोगशाला के रूप में कार्य करना।
9. परियोजना के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कराने हेतु कार्यरत संस्थाओं को समस्त प्रकार की तकनीकी सेवा तथा सुविधा उपलब्ध कराना।
- परियोजना प्रस्तावों की प्राप्ति, प्रसंस्करण, मूल्याकंन तथा स्वीकृत योजनाओं के क्रियान्यवन में कार्यरत संस्थाओं का निरीक्षण व मॉनिटरिंग सुनिश्चित करना।
अक्टूबर 2004 से मार्च 2009 तक राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना की उपलब्धियां
क्र. |
विषय/अंग |
उपलब्धियों का योग |
अ. |
सेवा प्रदाताओं के माध्यम से क्षमता विकास |
468 |
ब. |
जैविक आदान उत्पादन इकाइयों को वित्तीय सहायता फल/सब्जी कम्पोस्ट इकाइयों नाबार्ड के द्वारा सीधे कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा |
9 7 |
1 |
||
2. |
जैव उर्वरक उत्पादन इकाईयों नाबार्ड के द्वारा एन.सी.डी.सी. द्वारा कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा |
30 0 21 |
3. |
वर्मीकल्चर हैचरीज नाबार्ड के द्वारा कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा |
395 1001 |
स. 1. 2. 3. |
प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रमाणीकरण तथा नरीक्षण पर प्रशिक्षण जैविक उत्पाद उत्पादन तथा गुणवत्ता नियंत्रण प्रसार अधिकारी/कर्मचारी प्रशिक्षण कृषक प्रशिक्षण |
135 283 620 |
य. |
तकनीकी प्रक्रिया का विकास, विस्तार तथा बाजार विकास नवीन प्रयासों का विकास, राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय/क्षेत्रीय सेमीनार, प्रदर्शनियों आदि द्वारा राष्ट्रीय जागरूकता विकास
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