परिचय
किसी भी फसल अथवा फसल उत्पादन प्रणाली के लिए समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) एक ज्ञानवर्धक व प्रभावी तंत्र है। आईपीएम तकनीक में हानिकारक नाशीजीवों) जैसे कि नाशीजीव, रोगजनक, सूत्रकृमी, खरपतवार, कुटकी अथवा कृन्तक) की स्थिति पर निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है। ऐसी परिस्थितियों के तहत हितधारकों के उद्देश्य, भूमिका और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए पादप संरक्षण में सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के केन्द्रीकरण और विकेंद्रीकरण की विशेष भूमिका है। आईसीटी न केवल समय और स्थान के आधार पर नाशीजीव डेटाबेस को समरूप करने की अनुमति देता है, बल्कि उपलब्ध ज्ञान के आधार और महत्वपूर्ण घटकों का उपयोग करके क्षेत्रीय आधार पर कीट प्रबंधन के लिए निर्णय निर्धारण को सुविधाजनक बनाने के लिए डेटा को भी शीघ्रता जी भी शीघ्रता से संचालित करता है। वर्लड वाइड वेब भी लक्षित ग्राहकों के लिए कास्टमाइजड एप्लीकेशन तैयार करने और उन्हें खुले स्रोत के रूप में उपलब्ध कराना सम्भव बनाता है। इसके अतिरिक्त, संचार उपकरण के रूप में स्मार्टफोन का आविर्भाव इतना लोकप्रिय हो गया है कि विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपलब्ध एप्लीकेशन बनाना एक सशक्त मूल्य संवर्धन है। निम्नलिखित लेख ई – नाशीजीव निगरानी, नाशीजीव सूचना विकास प्रणाली, नाशीजीव पूर्व – चेतावनी और कीटनाशक और कवकनाशी कैलकुलेटर (आई एफसी) द्वारा नाशीजीव प्रबंधन के सुधार की दिशा में डिजिटल प्रौद्योगिकी की संभावित पहुँच का एक खाका देता है।
ई आधारित नाशीजीव निगरानी : डाटाबेस विकास, कीट/स्थिति और नाशीजीव प्रबंधन सलाह के प्रसार के अध्ययन के लिए एक उपकरण
फसलों में राष्ट्रीय कीट परिदृश्य प्राप्त करने के साथ साथ उत्पादकों तक आइपिएम प्रणाली के प्रसार हेतु सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक (आईसीटी) द्वारा संचालित कार्यक्रम द्वारा कीट निगरानी में क्रन्तिकारी बदलाव आया है। जिसे अक्सर ई – कीट निगरानी के नाम से भी जाना जाता है। आईपीएम को ई – कीट निगरानी के माध्यम से लॉन्च करने के लिए एक संवाहक के रूप में आईसीटी को लागू किया गया है। (देखें – http://www.ncipm-org.in/) । केन्द्रीयकृत डेटावेस, ऑफ लाइन या क्लाइंट डेटा कैप्चर, एडमिन पैनल, डेटा रिपोर्टिंग और विश्लेषण वेब परिचारक ई कीटनाशक निगरानी प्रणाली के प्रमुख घटक है। ऑफलाइन कीट डेटा इंट्री और अपलोड एप्लीकेशन, ऑनलाइन कीट डेटा एंट्री और अपलोड एप्लीकेशन, ऑनलाइन रिपोर्टिंग सिस्टम और डेटावेस रिपोजिटरी सिस्टम के मुख्य घटक होते हैं। स्काउट्स द्वारा फिल्ड स्तर पर एकत्रित कीट निगरानी डेटा डेटाएंट्री ऑपरेटरों द्वारा क्लाइंट एप्लीकेशन में प्रवेश किया जाता है। एप्लीकेशन को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है ताकि उपयोगकर्ताओं को डाटा ऑफलाइन में दर्ज, जन्चौर संकलित करने में सुविधा हो सके डाटाबेस का खाका प्रक्षेत्र विशेषज्ञों के साथ परामर्श, प्रकाशित शोध पत्रों की समीक्षा (विशेष रूप से कीट रिपोर्टिंग इकाइयों के लिए) और अतिरिक्त मानदंडों (क्षेत्रीय सूचना, पारंपरिक और संरक्षण कार्यप्रणाली, मौसम की परिकाष्ठा और उपज स्तर को ध्यान में रख कर विकसित किया गया है। डाटाबेस को एसक्यूएल सर्वर 2008 का उपयोग कर संरचित किया गया है जिसमें अतिरेक डेटा से बचने के लिए तालिकाओं के बीच स्थापित संबंधों के साथ सैंकड़ों टेबल और डेटा फील्ड्स शामिल है।
डेटा संग्रहित करने के लिए विभिन्न संग्रहित प्रक्रियाएं लिखी जाती हैं। इसमें डाटाबेस सुरक्षा और प्रयोगकर्ता अभिमग प्रबंधन को प्रमुखता दी गयी है।ऑनलाइन एप्लीकेशन नाशीजीव विशिष्ट या नाशीजीव आधारित सामान्य या आर्थिक सीमारेखा स्तर आधारित नाशीजीव रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। आईसीटी आधारित विकसित डाटाबेस में विशिष्ट या नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान के लिए रणनीतियों के निर्धारण व साथ – साथ इनका किसानों के खेतों में प्रयोग के लिए आधार विकसित करता है। वेबसाइटो के माध्यम से तालुक स्तर पर किसी भी उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध वर्तमान अवधि से संबंधित फसलों के लिए संक्षिप्त और विस्तृत रूप में कीट प्रबंधन सलाह लघु संदेश सेवाओं (एस एम एस) के माध्यम से ई- कीट निगरानी के पंजीकृत किसानों को भेजी जाती है।
महाराष्ट्र राज्य में आईपीएम के व्यापक कार्यान्वयन के लिए क्षेत्रीय फसलों जैसे चावल, सोयाबीन, कपास, अरहर और चना फसलों के लिए फसल नाशीजीव निगरानी और सलाहकार परियोजना (क्रोपसेप) और बागवानी फसलों जैसे – केला, आम, अनार, नागपूर नारंगी, मौसमी और चीकू के लिए बागवानी फसल नाशीजीव निगरानी और सलाहकार परियोजना (होर्टसैप) का क्रियान्वयन किया गया है\ वर्तमान में पूरे त्रिपुरा और मध्य प्रदेश में चावल के लिए ऑन लाइन नाशीजीव निगरानी और परामर्श सेवाएँ भी कार्यान्वित की जा रही हैं। चूंकि नाशीजीव सम्बंधित समस्याएं जलवायु परिवर्तन की जा रही है, जिसके लिए समय पर फसल कीटनाशक के व्यापक और दीर्घकालिक आंकड़े के आवश्यकता होती है, डेटाबेस को प्रभावी ढंग और कुशलतापूर्वक समेकित करने के लिए आईसीटी एक रूपांतरण के टूल के रूप में कार्य करता है। जलवायु अनुरूप कृषि में राष्ट्रीय नवाचार परियोजना चावल, अरहर, मूंगफली और टमाटर की फसलों में जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में नाशीजीव परिदृश्यों में परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए एक अनुसंधान मंच प्रदान करती है।
ई नाशीजीव निगरानी के लिए सूचना प्रणाली
क्षेत्रीय नाशीजीव निगरानी (डाटा शीट,दिशानिर्देश और मैनुअल) के लिए आवश्यक सभी तकनीकी जानकारी और क्लाइंट सॉफ्टवेयर (सेट अप और यूजर मैनुअल) सूचना प्रणाली का गठन करते हैं और किसी भी समय, किसी के लिए भी सदा उपलब्ध होते हैं। चावल, अरहर, मूंगफली और टमाटर फसलों के लिए नाशीजीव निगरानी, निदान और प्रतिचयन पर विंडोज आधारित सविवरण स्टैंड – एलोन सूचना प्रणाली ASP – NET और c# के अनुप्रयोग से विकसित की गई है, जिसमें पौधों के भागों, कीटो, रोगों और लाभदायक कीटों के प्रतिचयन के साथ – साथ प्रतिचयन प्रक्रिया दिया गया है।
नियोजित निरूपण और डीएसपीएस एप्लीकेशन का स्नैपशॉट चावल, अरहर, मूंगफली और टमाटर के लिए निदान और कीट निगरानी संबंधित सूचना प्रणाली की डीवीडी भी दी गई है।
पूर्व चेतावनी आईपीएम का एक अनिवार्य घटक है और जलवायु परिवर्तन के आधार पर नाशीजीव संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान करना एक चुनौती है क्योंकि कीटों पर इसका असर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से होता है} क्रॉपसैप और निकरा के तहत की गई ई – कीट निगरानी से पूर्वानुमान का दायरा विस्तृत हुआ है। पूर्वानूमानित विधियों की व्यापक श्रेणी के देखते हुए, धारवाड़ (कर्नाटक) में मूंगफली फसल प्रणाली में स्पोडोप्टेरा लिटूरा की अधिकतम तीव्रता और बेंगलूरू में टमाटर की अगेती झुलसा के आलावा नियम – आधारित पूर्वानुमान तकनीक सात स्थानों जैसे लुधियाना (पंजाब), चिनसूरा (पश्चिम बंगाल), रायपुर (छत्तीसगढ़), कर्जत (महाराष्ट्र), हैदराबाद (तेलंगाना), मंड्या (कर्नाटका) और आदूथूराई (तमिलनाडु) में नाशीजीव तीव्रता पूर्वानुमान के लिए सरल लेकिन मजबूत उपकरण सिद्ध हुई है। विभिन्न स्थानों में चावल, अरहर, मूंगफली और टमाटर की फसल में होने वाली नाशीजीव और रोग संबंधित घटनाओं तीव्रता व संबंधी मौसम प्रतिमानों का उपयोग करते हुए प्रभावी होने तक विधिमान्य किये गये हैं। ऐसे अनुभवजन्य मॉडल और नियम आधारित मॉडल से वेब होस्टिंग के साथ – साथ सत्यापन के लिए सुविधा प्रदान की गई है। पेस्टप्रीडीक्ट, एन्ड्रोईड मोबाइल एप्लीकेशन है जो लक्षित फसलों में स्थान विशिष्ट के लिए वांछित कीटों या रोगों के पूर्वानुमान और उनके प्रभावी प्रबंधन के लिए शोधकर्ताओं, कृषि विस्तार कर्मियों और किसानों को सहायता प्रदान करता है। पेस्टप्रिडीक्ट गणना के प्रयासों को कम कर देते है और विकसित पूर्वानुमान मॉडल के उपयोग के लिए एक त्वरित और प्रचलित रूपरेखा प्रदान करता है। बदलते नाशीजीव परिदृश्य और जलवायु को ध्यान में रखते हुए पूर्वानुमान की सफलता को निरंतर संशोधन द्वारा बेहतर किया जा सकता है परंतु स्थान विशिष्ट के लिए लक्षित फसलों में नियमित रूप से एप्लीकेशन का उपयोग करने की तात्कालिक आवश्यकता है ताकि नाशीजीवों के उच्चतर तीव्रता स्तर का पूर्वानुमान होने पर कीट अलर्ट जारी किया जा सके। वेब सक्षम/मोबाइल एप्लीकेशन आधारित पूर्वानुमान स्थान और कीट विशिष्ट हैं, इसके लिए विस्तार कार्यकर्ताओं सहित संभावित उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एप्लीकेशन के उपयोग करने के लिए आसान और तत्काल डाउनलोड की सुविधा हेतु जनित क्यूआर कोड यहाँ नीचे दिए गये हैं। प्रत्यक्ष और कर्मरहित क्षेत्र स्तर की निगरानी द्वारा समर्थित नाशीजीव चेतावनी हेतु यह हमेशा ही उचित होता है।
नाशीजीवप्रबंधन के लिए कीटनाशक और कवकनाशी कैलकुलेटर
भारत में कीटनाशकों का उपयोग प्रभावशाली ढंग से व्यापार संचालित है और किसानों को लुभाने के लिए कंपनियों द्वारा क्रेडिट सुविधायें दी जाती है और स्थानीय विक्रेता अल्प वैज्ञानिक परिणामों के साथ कीटनाशक की सिफारिशों का समर्थन करते हैं। केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा पंजीकृत कीटनाशक, चाहे यह रासायनिक हो या जैविक, जिसमें फसल उप्तादों की विस्तृत श्रेणी सहित नाशीजीव भी सम्मिलित हैं, नियमित रूप से कीटनाशक कंपनियों, सरकारी अनुसंधान संगठनों, विश्वविद्यालयों द्वारा जैव प्रभावकारिता, दृढ़ता और अवशेषों जनित डेटाबेस के आधार पर नियमित तौर पर अपडेट किये जाते हैं। किसानों को कीटनाशी सम्बंधित सिफारिशों प्रत्येक राज्य में विस्तार एजेंसियों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से प्रदान करना इस पूरी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। अगर किसी परिस्थिति में एक विशिष्ट फसल/कीट पर गैर – अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग एक बार या कुछ रसायनों का एक फसल में बार – बार उपयोग अधिक मात्रा के साथ किया जाता है तो यह प्राणघातक है। लेबल दावों के आधार पर कीटनाशकों का वर्गीकरण, खुराक के आधार पर मात्रा की गणना, प्रयोग का तरीका और प्रयोग करने की तकनीक संबंधित जानकारी देने का प्रावधान हर समय होना चाहिए ताकि लक्षित कीट, कीटनाशक और रोगों के लिए उचित चयन, बिक्री और उपयोग हो सके। एन्ड्रोइड प्लेटफार्म पर आधारित 12 प्रमुख फसलों, चावल, कपास, अरहर, मूंगफली, टमाटर, सोयाबीन, चने, मिर्च, भिन्डी, गोभी, फूलगोभी और बैंगन के लिए आईएफसी विकसित किए गये हैं। सीआईबी और आरसी द्वारा अनुमोदित 12 फसलों में लगने वाले कीट और रोगों के लिए सिफारिशों किये कीटनाशकों और कवकनाशियों की सूचना उनकी मात्रा, तरल छिड़काव की मात्रा, उनके उपयोग व प्रतीक्षा अवधि संबंधित जानकारी को एक ही स्थान पर संकलित किया गया है। वर्तमान में वेब सक्षम आईएफसी सात फसलों के लिए उपलब्ध हैं। आईएफसी में शामिल किये गये नाशीजीव अनुक्रम की झलक और उनके प्रबंधन के लिए सुझाये गये कीटनाशकों को टेबल 1 और 2 में प्रस्तुत किया गया है।
तालिका 1 – प्रमुख फसलों पर कीट, रोग और सूत्रकृमि स्पेक्ट्रम की आवृत्ति
फसल * | कीट |
रोग |
सूत्रकृमि |
कुल |
चावल |
24 |
8 |
1 |
33 |
बैंगन |
11 |
7 |
2 |
20 |
मिर्च |
12 |
8 |
– |
20 |
मूंगफली |
11 |
9 |
– |
20 |
कपास |
14 |
5 |
1 |
20 |
सोयाबीन |
10 |
8 |
– |
18 |
टमाटर |
7 |
9 |
– |
16 |
भिन्डी |
9 |
3 |
1 |
13 |
गोभी |
10 |
2 |
1 |
13 |
फूलगोभी |
5 |
4 |
– |
11 |
अरहर |
2 |
4 |
– |
9 |
चना |
4 |
– |
6 |
तालिका 2- कीटनाशकों, कवकनाशियों और सूत्रकृमिनाशकों की अनुमोदित संख्या
फसल * |
कीटनाशक |
कवकनाशी |
सूत्रकृमिनाशक |
कुल |
कुल योग |
||||
सीई |
बीआई |
सीएफ |
बीएफ |
सीसी |
बीसी |
सीसी |
बीसी |
||
चावल |
85 |
8 |
48 |
3 |
1 |
– |
134 |
11 |
145 |
कपास |
103 |
13 |
7 |
0 |
0 |
– |
110 |
13 |
123 |
मिर्च |
50 |
1 |
30 |
2 |
– |
– |
80 |
3 |
83 |
टमाटर |
30 |
6 |
28 |
6 |
– |
– |
58 |
12 |
70 |
बैंगन |
37 |
3 |
4 |
4 |
1 |
2 |
42 |
9 |
51 |
भिन्डी |
36 |
6 |
2 |
5 |
– |
1 |
38 |
12 |
50 |
गोभी |
31 |
5 |
2 |
1 |
1 |
– |
34 |
6 |
40 |
मूंगफली |
20 |
– |
23 |
2 |
– |
– |
43 |
2 |
45 |
अरहर |
21 |
8 |
1 |
2 |
– |
– |
22 |
10 |
32 |
चना |
12 |
14 |
– |
2 |
– |
– |
12 |
16 |
28 |
सोयाबीन |
17 |
1 |
10 |
0 |
– |
– |
27 |
1 |
28 |
फूलगोभी |
13 |
3 |
3 |
1 |
– |
– |
16 |
4 |
20 |
* कीटनाशकों (कीटनाशक + कवकनाशी + सूत्रकृमिनाशक) की कुल संख्या के आधार पर फसलों की सूचीय सीआई: रासायनिक कीटनाशकय बीआई: जैविक कीटनाशकय सीएफ रासायनिक नियंत्रण और बीसी: जैविक नियंत्रण
आईएफसी आर्किटेक्चर में तीन अलग – अलग परिदृश्य शामिल किये गये हैं जिसका अर्थ है कि उपयोगकर्ता कीट, कीटनाशक या प्रयोग की विधियों के माध्यम से जाकर विवरण प्राप्त कर सकता है। उपयोगकर्ता के पास किसी भी अनुमोदित किये गये कीटनाशक (रासायनिक या जैविक) को चुनने का विकल्प होता है या उन कीटों के बारे में जानना चाहता है जिनके लिए किसी भी कीटनाशक का अनुमोदन किया गया है। किस कीटनाशक को, कितनी मात्रा में और लक्षित फसल के लिए कैसे प्रयोग किया जाए इत्यादि संबंधित जानकारी आईएफसी के उपयोग के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
निष्कर्ष
किसी भी डिजिटल उपकरण की तरह नाशीजीव प्रबंधन के लिए आईसीटी आधारित अनुप्रयोगों की व्यापक उपयोगिता के लिए फसल संरक्षण से संबंधित सभी हितधारकों को उनके उद्देश्य के साथ उनकी उपलब्धता के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। विभाग के कर्मियों, विस्तार अधिकारीयों और पादप सुरक्षा के अन्य हितधारकों के बीच संभव अभिसरण निश्चित रूप से इसकी प्रयोज्यता में सुधार लायेगा। एप्लीकेशन का वर्तमान संस्करण अंग्रेजी में है, परंतु इसे स्थानीय भाषाओँ में ग्रामीण स्वदेशी बाजार संस्करणों के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता है। जहाँ आईसीटी आधारित कीट निगरानी डेटाबेस विकास और कीट परिदृश्य के आकलन के लिए फसल संरक्षण अनुसंधान और विकास के लिए लघु अवधि के साथ – साथ लंबी अवधि के लाभांश देगी वही पेस्टप्रिडिक्ट और आईएफसी खेत और किसान केन्द्रित अनुप्रयोग है। सभी एप्लीकेशन, लक्षित फसलों पर कीटों की स्थिति और प्रबंधन के बारे में सूचित और तत्काल निर्णय लेने में मदद करती हैं और डिजिटल इंडिया के फ्रेमवर्क में आईपीएम छात्र के तहत संरक्षण प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए उत्पाद है।
लेखन: वेन्निला एस, अंकुर तोमर, अजय कुमार सिंह, निरंजन सिंह, नीलम मेहता और हीरा लाल यादव
स्त्रोत: राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र
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