किसान भाई यह रोग धान में बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण से हर वर्ष धान की पैदावार में कमी करता है और हमारे किसान भाई इस रोग की पहचान न कर पाने से रोग पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे है।
रोग का कारक– Sheath rot is caused by Sarocladium oryzae. (Fungal disease) |
रोग का लक्षण या पहचान–
- धान की पत्ती पर 1 से 3 सेंटीमीटर लंबे हरे धूसर रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं जिनके किनारे कत्थई रंग के हो जाते हैं।
- खेत में पानी के नजदीक पत्तियों के शीथ पर छोटे काले अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं।
- बालिया खाली अथवा आधी भरी रह जाती है और बालियों में आंशिक रूप से निकलना या दाने ना बनना।
रोग का प्रबंधन–
- गर्मी की गहरी जुताई करें ।
- नर्सरी या धान की फसल को छाया में ना लगाएं।
- बीज शोधन के बाद बुवाई करें ।
- संक्रमित पौधे के अवशेष को जलाएं अथवा उसको जमीन में दबा दें ।
- खेत में लगातार पानी रोक कर ना रखें ।
- खेत एक खेत से दूसरे खेत में काटकर सिंचाई ना करें।
- उवर्रक का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें।
- यह रोग का लक्षण देखने के पश्चात नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- रोपाई करते समय पौधों के बीच में पर्याप्त दूरी रखनी चाहिए।
- संक्रमित क्षेत्र में से पानी के आवागमन को अवरुद्ध कर देना चाहिए या रोक देना चाहिए।
- खेत की मेड़ों और सिंचाई की नालियों को खरपतवार निकाल देनी चाहिए ताकि रोग कम हो।
रासायनिक नियंत्रण-
- नर्सरी में बुवाई से पूर्व बीज का उपचार बविस्टिन 10 ग्राम + 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लीन की मात्रा को 10 लीटर पानी के घोल में मिलाकर 10 से 12 घंटे भीगा देनी चाहिए।
- रोग दिखाई देने पर प्रति हेक्टेयर मैनकोज़ेब 75% 1.5 किलोग्राम + कार्बेंडाजिम 50% 500 ग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।
- कार्बेंडाजिम 50% 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।
- हेसाकोनाज़ोल 5% इसी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करनी चाहिए।
- प्रोपिकॉनाज़ोल 25% इसी 500ml प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करनी चाहिए।
- वलीडमैसिटीन 3 प्रतिशत 600ml प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।