भारत की दो तिहाई आबादी उन गांवों में रहती है, जहां की अर्थव्यवस्था कृषि गतिविधियों पर आधारित है। औद्योगीकरण और आधुनिक तकनीक के चलते अन्य व्यवसायों की तरह, कृषि में भी समय के साथ अनेक परिवर्तन आए हैं।
कृषि अभियांत्रिकी
अब किसान खेतों में पुरानी तकनीकों और उपकरणों के साथ काम करना नहीं चाहते हैं। वह अद्यतन तकनीक के प्रयोग से सीमित समय में ज्यादा उपज लेना चाहते हैं। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी की आवश्यकता है जो कृषि उपकरण, मशीनरी को आधुनिक बनाने व खेती से संबंधित गतिविधियों की दक्षता बढ़ाने तथा विनिर्माण प्रक्रियाओं को डिजाइन, निर्माण और बेहतर बनाने में मदद करता है। कृषि अभियांत्रिकी मुख्यत: कृषि उपकरण, ग्रामीण संरचना, मिट्टी संरक्षण, जल निकासी व सिंचाई और ग्रामीण बिजली पर आधारित है।
एक कृषि अभियंता के रूप में मशीनरी एवं उपकरणों की समुचित खरीद, खेतों की संरचना और पारंपरिक विधि और तकनीकों के विकल्पों का चयन, निजी और सरकारी संगठनों को परामर्श सेवाएं प्रदान करने के क्षेत्र में करिअर शुरू किया जा सकता है। इसके अलावा कृषि मशीनरी बनाने वाली कंपनियों में, विभिन्न विभागों जैसे डिजाइन, अनुसंधान और विकास, रख-रखाव आदि के तहत अवसर उपलब्ध होते हैं।
डेयरी उद्योग
डेयरी तकनीक मुख्य रूप से दूध के उत्पादन और प्रसंस्करण से संबंधित गतिविधियों का क्षेत्र है। डेयरी टेक्नोलॉजी में पढाई पूरी करने के बाद डेयरी सुपरवाइजर के रूप में डेयरी कंपनियों के साथ काम किया जा सकता है। डेयरी तकनीक न केवल दुग्ध संग्रह और भंडारण करने से संबंधित है बल्कि दूध के उत्पादन का प्रबंधन भी करती हैं। डेयरी अभियंता दूध को उपभोग के लिए उपयुक्त बनाने के लिए इसके प्रसंस्करण की देख-रेख करते हैं।
डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में दैनिक कार्यों की देखरेख, पोषण और गुणवत्ता मानकों की जांच, दूध और उसके उप-उत्पादों की पैकेजिंग, भंडारण और वितरण में करियर निर्माण के अवसरों की बहुलता है। इस क्षेत्र में स्वरोजगार के भी पर्याप्त अवसर हैं। सरकारी शोध संस्थानों डेयरी वैज्ञानिक के रूप में करिअर निर्माण के साथ निजी क्षेत्रों में भी अनुसंधान और विकास के संचालन और उन्नति के अवसर उपलब्ध हैं।
बागवानी
बागवानी वैज्ञानिक रूप से फलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों, सजावटी पेड़ों और सजावटी फूलों को उगाने और खेती करने की अपार संभावना वाला करिअर है। फ्लोरिकल्चरिस्ट (फूलों की खेती करना), ओलेरिश्टुरिस्ट (सब्जियों की खेती करना), भूनिर्माण (वाणिज्यिक या आवासीय उद्यानों और पार्कों को डिजाइन करना) आदि बागवानी के विभिन्न आयाम हैं जिसके अध्ययन के बाद बागवानी वैज्ञानिक के रूप में करिअर निर्माण कर अनुसंधान किया जा सकता है।
बागवानी विधि द्वारा खेती को भी नए और बेहतर तरीकों के आधुनिक व लाभप्रद बनाया जा सकता है। बागवानी विशेषज्ञों का उद्देश्य उपज की गुणवत्ता, वृद्धि, पोषण मूल्य और उपज में सुधार करना है। वे नर्सरी, ग्रीनहाउस, बाग, वृक्षारोपण आदि को बनाए रखने के लिए भी काम करते हैं, क्योंकि जैविक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ने के कारण यह क्षेत्र अत्यधिक तेजी से विकसित रहा है।
कुक्कुट पालन
मांस और अंडे के लिए मुर्गियों और बत्तख जैसे पक्षियों का पालन कुक्कुट पालन कहलाता है। इस क्षेत्र में पढ़ाई या प्रशिक्षण के बाद हैचरी, फार्मास्युटिकल कंपनियों, फीड मिलर्स, पशु चिकित्सा अस्पतालों, पोल्ट्री फार्म मैनेजर, ब्रीडर, हैचरी असिस्टेंट, प्रोडक्शन टेक्नोलॉजिस्ट, फीडिंग टेक्नोलॉजिस्ट, पोल्ट्री हाउस डिजाइनर, प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजिस्ट आदि के रूप में काम किया सकता है।
मत्स्य विज्ञान
यह क्षेत्र व्यावसायिक आधार पर मछली पालन से संबंधित है जिसमें मछली की विभिन्न प्रजातियों के जीवन, आदतों अध्ययन शामिल है। इस क्षेत्र में स्नातक किए हुए विद्यार्थी राज्य और केंद्र सरकार के विभागों, शैक्षणिक संस्थानों और मछली फार्मों व निजी क्षेत्रों में करिअर के अवसर पा सकते हैं।
इन व्यवसायों के अलावा, मसालों का उत्पादन, तेल उद्योग, दालों को तैयार करना, आटा मिल्स आदि ऐसे क्षेत्र हैं जो कृषि की आधुनिक तकनीक के सहारे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं।
– पवन विजय
(शिक्षक, डीआइआरडी-दिल्ली)
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