भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा कृषकों को सलाह
1 फरवरी 2021, इंदौर , पाले से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें- भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र इंदौर द्वारा कृषकों को निम्न सलाह दी गई है-
पाला पडऩे की संभावना होने पर पाले से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करें, अथवा थायो यूरिया की 500 ग्राम मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें अथवा 8 -10 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें अथवा घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा 0.1 प्रतिशत गंधक अम्ल का छिड़काव करें।
देर से बुवाई की गई फसल में सिंचाई के साथ एक तिहाई नत्रजन (33 किग्रा./ हेक्टेयर) अथवा यूरिया (70-72 किग्रा./हेक्टेयर) सिंचाई के पूर्व भुरक कर दें। अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें, पूर्ण सिंचित समय से बुवाई वाली किस्मों में 20 -20 दिन के अंतराल पर 4 सिंचाई करें। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है। बालियां निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें, अन्यथा फूल खिर जाते हैं, दानों का मुंह काला पड़ जाता है। करनाल बंट तथा कंडुवा व्याधि के प्रकोप का डर रहता है।
शीघ्र और समय से बोई गई फसलों में उगे हुए खरपतवारों को जड़ सहित उखाड़कर जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल करें या गड्ढे में डालकर कार्बनिक खाद तैयार करें। देर से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी या हैण्ड हो से फसल में निराई -गुड़ाई करें। श्रमिक उपलब्ध न होने पर जब खरपतवार 2 -4 पत्ती के हैं,तो चौड़ी पत्ती वालों के लिए 4 ग्राम मेटसल्फ्यूरान मिथाइल या 650 मिली लीटर 2 -4 डी/ हे. का छिड़काव करें। संकरी पत्ती वालों के लिए 60 ग्राम क्लोडिनेफ्रोप प्रोपरजिल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। दोनों तरह के खरपतवारों के लिए उपरोक्त को मिलाकर या बाजार में उपलब्ध इनके रेडी मिक्स उत्पादों को छिड़कें। छिड़काव के लिए स्प्रेयर में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें।
गेहूं की फसल के ऊपरी भाग (तना व पत्तों पर) गेहूं की इल्ली तथा माहू का प्रकोप होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिली ग्राम /हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूं में हेड ब्लाइट रोग आने पर प्रोपिकेनाजोल एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उच्च गुणवत्ता युक्त बीज जैसे कि आधार बीज की फसल में एक बार और रोगिंग करने से बीज की गुणवत्ता बढ़ जाती है।
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